अनायास की चुप्पी को भंग कर दे
अगणित आत्मभावनाओं को
छू ले जो साँझ-सवेरे को
जी ले एक पल में जीवन के हर झरोखे को
पी ले जो आँखों की अश्रु धाराओं को
जी ले जो जीवन के हर आभाव में
करा दे परिचय मनुष्य का हर भाव से
जो जीता है हर पल हर क्षण को
हो चाहे वह खुश या दुखी
भर दे जो स्वप्न रचित पात्रों में भी प्राण
जिसकी सीमाएँ हों अनन्त आसमान
हैं जिसमें सभी रस विद्यमान
होती है रंगवर्षा जब हो उसका आगमन
वह एक होकर भी खुद में है अनेक
न वो कोई इन्द्रजाली, न वो देवदूत
आत्मा को आत्मा से बाँध दे ऐसा है वो सूत
स्वप्न को साकार कर दे वो है रंगदूत
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